हरिद्वार (आर सी/संदीप कुमार) जिला अर्थ एवं संख्याधिकारी नलिनी ध्यानी ने बताया कि 29 जून को प्रो. पीसी महालनोबिस के जन्मदिवस को राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस के रूप में मनाया जाएगा। इस वर्ष की थीम “75 Years of National Sample Survey” रखी गई है। इस अवसर पर जनपद के सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में अर्थशास्त्र, सांख्यिकी, और वाणिज्य संकायों के तत्वावधान में विचार गोष्ठियां, कार्यशालाएं, और वेबिनार जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
नलिनी ध्यानी ने निर्देश दिए कि सभी शिक्षण संस्थान इन कार्यक्रमों का आयोजन कर उनकी जानकारी एक सप्ताह के भीतर जिला अर्थ एवं संख्याधिकारी कार्यालय को उपलब्ध कराएं। यह आयोजन राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण के 75 वर्षों की उपलब्धियों को रेखांकित करने और सांख्यिकी के महत्व को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया जा रहा है।
प्रो. प्रशांत चंद्र महालनोबिस (1893-1972) भारत के सांख्यिकी और आर्थिक नियोजन के क्षेत्र में एक अग्रणी व्यक्तित्व थे। उनके प्रमुख योगदानों में निम्नलिखित शामिल हैं:
भारतीय सांख्यिकी संस्थान (ISI) की स्थापना
महालनोबिस ने 1931 में कोलकाता में भारतीय सांख्यिकी संस्थान की स्थापना की, जो सांख्यिकी, अनुसंधान और प्रशिक्षण के क्षेत्र में विश्व स्तर पर प्रतिष्ठित संस्थान बन गया।
राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (NSS) की शुरुआत
उन्होंने 1950 में राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण की स्थापना की, जो भारत में सामाजिक-आर्थिक आंकड़ों के संग्रह का आधार बना। NSS आज भी नीति निर्माण और अनुसंधान के लिए महत्वपूर्ण डेटा प्रदान करता है।
महालनोबिस दूरी (Mahalanobis Distance)
उन्होंने सांख्यिकी में “महालनोबिस दूरी” नामक एक गणितीय माप विकसित किया, जो डेटा विश्लेषण और पैटर्न पहचान में व्यापक रूप से उपयोग होता है।
द्वितीय पंचवर्षीय योजना में योगदान
महालनोबिस ने भारत की दूसरी पंचवर्षीय योजना (1956-61) के लिए “महालनोबिस मॉडल” प्रस्तुत किया, जो औद्योगीकरण और आर्थिक नियोजन पर केंद्रित था। इस मॉडल ने भारी उद्योगों और बुनियादी ढांचे पर जोर दिया।
सांख्यिकी में नवाचार
उन्होंने सांख्यिकी के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर नमूना सर्वेक्षण और डेटा विश्लेषण की तकनीकों को विकसित किया, जिसने भारत में वैज्ञानिक अनुसंधान को मजबूत किया।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण का प्रसार
महालनोबिस ने भारत में वैज्ञानिक और तथ्य-आधारित नीति निर्माण को बढ़ावा दिया। उनके प्रयासों से सांख्यिकी को राष्ट्रीय विकास का आधार बनाया गया।
उनके योगदानों के लिए भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण (1968) से सम्मानित किया। प्रो. महालनोबिस का कार्य आज भी सांख्यिकी, अर्थशास्त्र और नीति निर्माण के क्षेत्र में प्रेरणा देता है।