रुड़की (आर सी/संदीप कुमार): उत्तराखंड के शांतरशाह गांव में भारी बारिश ने तबाही मचा दी है। सड़कें नदियों में तब्दील हो चुकी हैं, और कई घरों में पानी घुसने से ग्रामीण छतों पर शरण लेने को मजबूर होने की आशंका। जल निकासी की कोई स्थायी व्यवस्था न होने से हालात बद से बदतर हो गए हैं। गांव का जोहड़ उफान पर है, जिससे मकानों में नमी और ढहने का खतरा बढ़ गया है। रात के अंधेरे में सांप, बिच्छू और जलीय जीवों के घरों में घुसने का डर ग्रामीणों को सता रहा है। बच्चों का स्कूल जाना असंभव हो गया है, और बाहर निकलना किसी जंग से कम नहीं।
जोहड़ के गंदे पानी से जाते लोग
जून माह के पहले सप्ताह में विकास विभाग, पंचायत विभाग, पीडब्ल्यूडी रुड़की, सिंचाई विभाग, और राजस्व विभाग ने नायब तहसीलदार मंगलौर के निर्देशन में स्थलीय निरीक्षण किया था। जांच में पाया गया कि जोहड़ का गंदा पानी सड़कों पर बह रहा है, जिससे खेड़ा शिव मंदिर जाने वाले श्रद्धालुओं, स्कूली बच्चों और राहगीरों को परेशानी हो रही है। गंदे पानी से बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाने का जिक्र था, और बरसात में समस्या के गंभीर होने की चेतावनी दी गई थी। प्रशासन ने पंपिंग सेट से पानी निकालने, सड़कों को ऊंचा करने, जोहड़ के सौंदर्यीकरण, और नाला निर्माण के निर्देश दिए थे, प्रशासन की लचर व्यवस्था के चलते, ये उपाय नाकाफी साबित हुए। हालिया बारिश ने प्रशासन की तैयारियों की पोल खोल दी।
सड़के नदी में तब्दील सड़कों पर फैला गंदा पानी
आपदा प्रबंधन सचिव ने प्रदेश भर के हरिद्वार सहित कई जिलों में भारी बारिश के चलते दो दिन के लिए रेड अलर्ट जारी किया है, और कक्षा एक से बारहवीं तक के स्कूलों व आंगनवाड़ी केंद्रों में अवकाश घोषित किया गया है। लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि यह अवकाश उनकी मुसीबतों का हल नहीं है। कुछ ग्रामीण ने गुस्से में कहा, “रेड अलर्ट और अवकाश से क्या फायदा, जब हमारे घर डूब रहे हैं? प्रशासन ने हमें भगवान भरोसे छोड़ दिया है।”
जोहड़ के आसपास की लगभग सभी सड़के गंदे पानी की जद में
ग्रामीणों ने तत्काल स्थायी जल निकासी व्यवस्था, गहरी नालियों का निर्माण, और जोहड़ की सफाई की मांग की है। ग्रामीणों के बीच प्रशासन की कार्यशैली पर गुस्सा बढ़ रहा है, और प्रशासन को तुरंत प्रभावी कदम उठाने होंगे, ताकि ग्रामीणों की जिंदगी पटरी पर लौट सके।
फिलहाल, शांतरशाह गांव बारिश के तांडव और प्रशासनिक कार्यशैली के बीच फंसा हुआ है, और ग्रामीणों को इस संकट से उबरने के लिए त्वरित राहत की जरूरत है।