हल्द्वानी (आर सी/ संदीप कुमार) उत्तराखंड के नैनीताल जिले के हल्द्वानी में भू-माफियाओं के एक सनसनीखेज कारनामे का खुलासा हुआ है। भू-माफियाओं ने सरकारी सड़क की जमीन को प्लॉट्स में बांटकर नौ लोगों को बेच दिया और उनकी रजिस्ट्री तक करा दी। यह मामला 14 साल बाद तब सामने आया, जब पीड़ितों में शामिल एक सेना के जवान ने शिकायत दर्ज की। इस फ्रॉड ने स्थानीय प्रशासन और राजस्व विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
मामला क्या है?
मामला हल्द्वानी के मुखानी थाना क्षेत्र का है। वर्ष 2011 में भू-माफियाओं ने विभागीय अधिकारियों से मिलीभगत कर एक सरकारी सड़क की जमीन को प्लॉट्स में बांटकर बेच दिया। इसमें सेना के जवान समेत नौ लोगों को प्लॉट बेचे गए और रजिस्ट्री भी करा दी गई। खरीदारों को यह नहीं बताया गया कि वे जिस जमीन को खरीद रहे हैं, वह वास्तव में सड़क की जमीन है। इस फ्रॉड का खुलासा तब हुआ, जब एक खरीदार, जो सेना में कार्यरत है, ने अपनी जमीन की स्थिति जांचने की कोशिश की और उसे पता चला कि उनके नाम पर रजिस्टर्ड जमीन सरकारी सड़क का हिस्सा है।
कैसे हुआ फ्रॉड?
सड़क की जमीन को बनाया प्लॉट: भू-माफियाओं ने सरकारी सड़क की जमीन को अवैध रूप से प्लाटिंग कर उसे निजी संपत्ति के रूप में बेचा।
रजिस्ट्री में मिलीभगत: स्थानीय राजस्व अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों की मिलीभगत से फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए और रजिस्ट्री कराई गई।
पीड़ितों में सेना का जवान भी: खरीदारों में शामिल एक सैनिक ने जब अपनी जमीन का उपयोग शुरू करने की कोशिश की, तो उसे इस घोटाले का पता चला।
14 साल तक रहा गुप्त: यह मामला 2011 से दबा हुआ था, लेकिन हाल ही में शिकायत के बाद जांच शुरू हुई।
प्रशासन की कार्रवाई
पीड़ित की शिकायत के बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। प्रारंभिक जांच में राजस्व विभाग के कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। पुलिस ने भू-माफियाओं के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट और अन्य धाराओं के तहत कार्रवाई शुरू की है। साथ ही, अवैध रूप से रजिस्टर्ड जमीन की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित करने की मांग की जा रही है।

भू-माफिया के खिलाफ उत्तराखंड में सख्ती
उत्तराखंड में भू-माफियाओं के खिलाफ पहले से ही कार्रवाई तेज है। डीजीपी अशोक कुमार के निर्देश पर 2022 में भू-माफियाओं के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट और गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई शुरू की गई थी। उनकी संपत्तियों को जब्त करने और हिस्ट्रीशीट खोलने के आदेश दिए गए थे। हल्द्वानी का यह ताजा मामला भू-माफियाओं की बेलगाम गतिविधियों को उजागर करता है।
जनता में आक्रोश
इस घटना ने स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश पैदा किया है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर कैसे सरकारी सड़क की जमीन को बेचा जा सका और रजिस्ट्री तक हो गई। स्थानीय निवासियों का कहना है कि भू-माफियाओं के हौसले इतने बुलंद हैं कि वे सरकारी जमीनों पर भी कब्जा कर रहे हैं। इस मामले में पीड़ितों ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
भू-कानून की मांग तेज
उत्तराखंड में भू-माफियाओं की बढ़ती गतिविधियों के बीच सख्त भू-कानून की मांग फिर से जोर पकड़ रही है। हाल ही में, 2025 में उत्तराखंड सरकार ने 11 जिलों में बाहरी लोगोंによる कृषि और बागवानी जमीन खरीदने पर रोक लगा दी है। लेकिन हल्द्वानी जैसे मामले दिखाते हैं कि अभी भी प्रशासनिक स्तर पर खामियां मौजूद हैं।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
भू-माफिया के इस कारनामे पर विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तराखंड में बढ़ते पर्यटन और बाहरी लोगों की जमीन खरीद ने भू-माफियाओं को मौका दिया है। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि भूलेख रिकॉर्ड को और पारदर्शी करने, ऑनलाइन पोर्टल को मजबूत करने और रजिस्ट्री प्रक्रिया में कड़ाई बरतने की जरूरत है।
सरकार वादा करे
हल्द्वानी का यह लैंड फ्रॉड मामला उत्तराखंड में भू-माफियाओं की गहरी जड़ों को उजागर करता है। प्रशासन और सरकार को अब और सख्त कदम उठाने होंगे ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके। साथ ही, पीड़ितों को न्याय और उनकी मेहनत की कमाई की रक्षा सुनिश्चित करना होगा।