हरिद्वार (आर सी/संदीप कुमार) जिला अस्पताल की बदहाल व्यवस्थाओं को लेकर अस्पताल में तैनात डॉ. विकास दीप ने खुला पत्र लिखकर प्रशासन की लापरवाहियों को उजागर किया है। मानसिक तनाव से जूझ रहे डॉ. विकास ने आला अधिकारियों को लिखे पत्र में अस्पताल की जर्जर इमारत, लापरवाह अधिकारियों और भारी कार्यभार का जिक्र करते हुए अपनी पीड़ा व्यक्त की है।
डॉ. विकास ने पत्र में लिखा, “जिला अस्पताल की स्थिति आईसीयू में पड़े मरीज जैसी हो गई है। जर्जर इमारत में न नींद आती है, न चैन है। अत्यधिक कार्यभार के कारण मैं खुद बीमार हो गया हूं, फिर भी ड्यूटी पर हूं। पिछले कई महीनों से नींद नहीं आ रही। जब अस्पताल का सिस्टम ही बीमार हो, तो उसमें काम करने वाले डॉक्टर कैसे स्वस्थ रह सकते हैं?”
इस पत्र ने स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा दिया है। डॉ. विकास का इस तरह खुलकर लिखना सेवा नियमावली के खिलाफ माना जा रहा है, लेकिन जिला अस्पताल में पहले से ही चिकित्सकों की कमी के चलते उनके खिलाफ कार्रवाई की संभावना कम है।
हालांकि, डॉ. विकास द्वारा उठाए गए मुद्दों से पहले ही मुख्यालय स्तर पर जिला अस्पताल के नवनिर्माण का निर्णय लिया जा चुका है। सूत्रों के अनुसार, अस्पताल की जर्जर इमारत को तोड़कर नए भवन के निर्माण की योजना है, जिससे सुविधाओं में सुधार की उम्मीद है।
स्थानीय लोगों और मरीजों का कहना है कि अस्पताल की स्थिति लंबे समय से खराब है। खुले आसमान के नीचे मरीजों का इलाज और बुनियादी सुविधाओं का अभाव आम बात है। डॉ. विकास के पत्र ने इन समस्याओं को फिर से चर्चा में ला दिया है।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार किया है, लेकिन सूत्र बताते हैं कि जल्द ही अस्पताल की व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए कदम उठाए जा सकते हैं। फिलहाल, डॉ. विकास का पत्र अस्पताल की बदहाली और चिकित्सकों के मानसिक स्वास्थ्य पर सवाल उठाने वाला एक गंभीर दस्तावेज बन गया है।