कलियर (आरसी / संदीप कुमार) यह किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं था। एक गरीब माँ-बाप, जियारत के लिए आया एक 3 माह का मासूम, दो अजनबी औरतें और 4 लाख 90 हजार रुपये में हो चुका बच्चे का सौदा। लेकिन हरिद्वार पुलिस के जांबाज कप्तान एसएसपी प्रमेन्द्र सिंह डोबाल की निगरानी में, 72 घंटे के भीतर इस पूरी साजिश का पर्दाफाश हो गया। एक मासूम की जिंदगी बचाने वाली यह कहानी हरिद्वार पुलिस के ‘इकबाल’ को बुलंद करती है।

अंधेरी रात और दो अजनबी साए
कहानी शुरू होती है 10/11 अक्टूबर की रात, कलियर शरीफ दरगाह के पास। अमरोहा निवासी जहीर अंसारी अपनी पत्नी और तीन माह के बेटे के साथ यहाँ ठहरे थे। गरीबी में सुकून की तलाश में वे एक दुकान के पास सो रहे थे। तभी रात के अंधेरे में दो अनजान महिलाएँ आईं। उन्होंने छेड़छाड़ का बहाना बनाकर उस गरीब परिवार से जान-पहचान बढ़ाई।
विश्वास जीतने के बाद, एक महिला जहीर को चाय पिलाने के बहाने कुछ दूर ले गई, और दूसरी महिला ने सो रही माँ की गोद से उसके कलेजे के टुकड़े को चुपके से उठा लिया और रफूचक्कर हो गई। जब माँ की आँख खुली, तो कोहराम मच गया। उनका बच्चा गायब था।
कप्तान डोबाल का ऑपरेशन: ‘मासूम की वापसी’
सुबह होते ही जहीर अंसारी ने थाना कलियर में शिकायत दर्ज कराई। बच्चे की चोरी की खबर मिलते ही एसएसपी प्रमेन्द्र सिंह डोबाल ने मामले की गंभीरता को समझा। उन्होंने तुरंत मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया और कलियर, सीआईयू (CIU) और अन्य थानों की संयुक्त टीमें बनाकर इस ब्लाइंड केस को खोलने का जिम्मा सौंप दिया। कप्तान ने साफ निर्देश दिए थे—बच्चे की जल्द से जल्द तलाश होनी चाहिए।
खुला बच्चा बिक्री का काला बाजार
पुलिस टीम ने मैनुअल खुफियागिरी और डिजिटल साक्ष्यों का पीछा किया। इस खोज ने पुलिस को उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर तक पहुँचा दिया। वहाँ पुलिस के हाथ लगा एक अहम किरदार आस मोहम्मद लंगड़ा।
पूछताछ में पता चला कि यह केवल चोरी नहीं, बल्कि एक संगठित बच्चा बिक्री गिरोह था। आस मोहम्मद ने ही चोरी करने वाली महिलाओं अपनी पत्नी शहनाज और उसकी साथी सलमा को कलियर से स्विफ्ट डिजायर कार में फरार करवाया था।
निःसंतानता का फायदा और मुनाफे का खेल
जांच में सबसे चौंकाने वाला सच तब सामने आया जब बच्चे के अंतिम खरीदार विशाल गुप्ता उर्फ अच्ची को पकड़ा गया। विशाल की शादी को दस साल हो चुके थे। पर कोई संतान नहीं थी। मेरठ के एक अस्पताल में इलाज के दौरान उसने पेशेंट कॉर्डिनेटर नेहा शर्मा से बच्चे के लालन-पालन की इच्छा जताई थी।
नेहा शर्मा ने विशाल की मजबूरी को लाखों के मुनाफे का मौका बना लिया। चोरी का बच्चा इस तरह एक कड़ी से दूसरी कड़ी तक बिकता गया
- चोर (शहनाज और सलमा) ने बच्चा तीन लाख में अंचन को बेचा।
- अंचन ने बच्चा तीन लाख नब्बे हजार में नेहा शर्मा को बेचा।
- नेहा शर्मा ने एक लाख का मुनाफा कमाते हुए, बच्चा चार लाख नब्बे हजार में विशाल गुप्ता को बेच दिया।
55 घंटे की जांबाज़ी और आँसुओं से भरी मुलाकात
पुलिस ने बच्चे की खरीद-फरोख्त में शामिल इस पूरी चेन—आस मोहम्मद, शहनाज, सलमा, अंचन, नेहा शर्मा और विशाल गुप्ता—को दबोच लिया। एसएसपी डोबाल की लगातार मॉनिटरिंग और पुलिस टीमों की अथक मेहनत रंग लाई। महज 55 घंटे के अंदर, 3 माह का मासूम शिशु विशाल गुप्ता के घर से सकुशल बरामद कर लिया गया।
जब पुलिस ने उस नादान शिशु को उसके माता-पिता को सौंपा, तो जहीर अंसारी और उनकी पत्नी की आँखों से खुशी के आँसू छलक पड़े। एक लाख रुपये नकद भी बरामद किए गए, और ऑनलाइन भेजी गई एक लाख की रकम को फ्रीज कर दिया गया है।
एसएसपी डोबाल ने इस शानदार खुलासे पर आम जनता से अपील की है कि वे किसी भी अनजान व्यक्ति पर आसानी से विश्वास न करें, क्योंकि यह “आपके लिए बड़े नुकसान का सौदा बन सकता है।” हरिद्वार पुलिस ने इस घटना से एक बार फिर साबित कर दिया है कि अपराध चाहे कितना भी गहरा हो, कानून के हाथ लंबे होते हैं।