बहादराबाद(आर सी/संदीप कुमार) हरिद्वार के बहादराबाद क्षेत्र में वर्द्धमान औद्योगिक क्षेत्र, बहादरपुर सैनी निकट पतंजलि योगपीठ के रास्ते पर अवैध पार्किंग का मुद्दा अब हाई-वोल्टेज ड्रामे में बदल चुका है। यहाँ कुछ कंपनियों की चारदीवारी के बाहर कर्मचारियों की मोटरसाइकिलों की अव्यवस्थित पार्किंग ने स्थानीय निवासियों का जीना मुहाल कर रखा था। सड़कें तंग, आवाजाही में दिक्कत, और रोज़मर्रा की परेशानी से तंग आकर स्थानीय लोग आखिरकार सड़कों पर उतर आए। अप्रैल माह में गुस्साए निवासियों ने इस मुद्दे पर जोरदार धरना-प्रदर्शन किया, जिसने प्रशासन और कंपनियों की नींद उड़ा दी।
मौके पर पुलिस बल के साथ पहुंचे क्षेत्रीय चौकी प्रभारी
धरने के अगुआ अंकित नौटियाल ने बताया कि इस अवैध पार्किंग से न सिर्फ़ सड़क जाम की समस्या हो रही थी, बल्कि स्थानीय लोगों को रोज़ाना असुविधा का सामना करना पड़ रहा था। अंकित और उनके साथियों ने इस मामले को गंभीरता से उठाते हुए एसडीएम रुड़की को एक ज्ञापन सौंपा था। लेकिन, जैसा कि अक्सर होता है, ज्ञापन दाखिल करने के बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। प्रशासन की इस लापरवाही से नाराज़ होकर स्थानीय निवासियों ने धरना-प्रदर्शन का रास्ता अपनाया और सड़क पर उतरकर अपनी आवाज़ बुलंद की।
ख़बर का असर
16 मई को ख़बर अलर्ट के द्वारा इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था
शुक्रवार को बहादराबाद पुलिस ने आखिरकार इस मामले में एक्शन लिया और अवैध पार्किंग हटाने की मुहिम शुरू की। पुलिस की गाड़ियाँ और जवान जब मौके पर पहुँचे, तो माहौल में तनाव साफ़ झलक रहा था। कंपनी के अधिकारियों और पुलिस के बीच तीखी नोकझोंक हुई। कंपनी के नुमाइंदे अपनी दलीलें देने में जुटे थे, तो पुलिस ने सख्ती दिखाते हुए नियमों का हवाला दिया। कई राउंड की गहमागहमी भरी बातचीत के बाद आखिरकार मामला सुलझता नज़र आया।
कंपनी के एचआर ने क्षेत्रीय चौकी प्रभारी शांतरशाह को लिखित में आश्वासन दिया कि अवैध पार्किंग को जल्द से जल्द शिफ्ट किया जाएगा। इतना ही नहीं, कंपनी ने एक ‘3-मीटर मास्टर प्लान’ पेश किया, जिसके तहत चारदीवारी के बाहर सिर्फ़ 3 मीटर की जगह में ही कंपनी के कर्मचारियों की मोटरसाइकिलें पार्क की जाएँगी। इस समझौते ने स्थानीय निवासियों को कुछ राहत की साँस दी, लेकिन लोगों का कहना है कि “वादा तो ठीक है, लेकिन देखते हैं, अमल कितना होता है!”
पुलिस ने भी साफ़ कर दिया कि नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ़ सख्त कार्रवाई की जाएगी। स्थानीय निवासियों में इस समझौते से थोड़ी उम्मीद जगी है, लेकिन कई लोग अभी भी आशंकित हैं कि क्या ये ‘3-मीटर प्लान’ वाकई कारगर होगा? क्या सड़कें अब खुली और सुगम होंगी, या फिर ये ड्रामा अभी और नए मोड़ लेगा? फिलहाल, वर्द्धमान औद्योगिक क्षेत्र की सड़कों पर नज़रें टिकी हैं, और लोग इंतज़ार में हैं कि इस चटपटे मामले का अगला अध्याय क्या होगा।