हरिद्वार (आरसी /संदीप कुमार) जिलाधिकारी मयूर दीक्षित का ‘एक्शन मोड’ अभी थमा नहीं है! इस बार उनकी गाज गिरी है तहसील के एक ‘कर्मठ’ बाबू पर, जिन्हें अब शासकीय कार्यों में ‘नकारात्मक दृष्टिकोण’ रखने का ‘ईनाम’ मिला है।
खबर है कि उप जिलाधिकारी महोदय ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि तहसील हरिद्वार के वरिष्ठ सहायक, महेश कुमार सोनी, ने काम को लेकर ऐसी ‘उदासीनता’ और ‘लापरवाही’ दिखाई कि पूछो मत! हद तो तब हो गई जब तहसीलदार ने इनसे कुछ स्पष्टीकरण माँगा, और इन्होंने जवाब देने की जहमत तक नहीं उठाई। शायद बाबूजी को लगा कि बॉस कौन-सा रोज-रोज पूछने आएगा!
लेकिन, इस बार उनका अंदाज़ा गलत साबित हुआ। जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने इस ‘मौन व्रत’ और ‘नकारात्मक दृष्टिकोण’ को गंभीरता से लिया और तत्काल प्रभाव से सोनी को सस्पैंड कर दिया।
सस्पैंड होने पर ‘सज़ा’ भी मिली ‘संग्रह अनुभाग’ की
अब इस ‘गैर-जिम्मेदार’ बाबू को ‘तपस्या’ के लिए कलक्ट्रेट हरिद्वार के ‘संग्रह अनुभाग’ में सम्बद्ध किया गया है। अब यहाँ बैठकर बाबूजी को अपनी ‘उदासीनता’ का चिंतन करना होगा।
हालांकि, सरकारी नियम-कायदों का ध्यान रखते हुए, निलम्बन की अवधि में सोनी को जीवन निर्वाह भत्ता ज़रूर मिलेगा। लेकिन यह तभी मिलेगा जब वह लिखित में यह ‘कसम’ खाएँगे कि वह किसी अन्य सेवायोजन, व्यापार, वृत्ति या व्यवसाय में नहीं लगे हैं। मतलब, ‘लापरवाही’ भी की और अब ‘ईमानदारी’ का प्रमाण पत्र भी देना पड़ेगा।
जाहिर है, जिलाधिकारी ने स्पष्ट कर दिया है कि जनपद में ‘कामचोरी’ और ‘उदासीनता’ अब बिलकुल नहीं चलेगी!
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