भगवानपुर(आरसी/संदीप कुमार) : राज्य सरकार भले ही प्रदेश भर में ‘गड्ढा मुक्त सड़क’ मुहिम का डंका पीट रही हो, लेकिन भगवानपुर ब्लॉक का बंजारावाला ग्रांट गांव सरकारी दावों की पोल खोल रहा है। यहाँ की सड़कों की हालत इतनी बदहाल हो चुकी है कि ग्रामीणों का पैदल चलना भी दूभर हो गया है। गांव की कई सड़के कीचड़ और गड्ढों के टापू में तब्दील हो चुका है।

सावन गया पर ‘कीच-कीच’ नहीं गई
ग्रामीणों का कहना है कि बारिश का मौसम सावन बीत चुका है, लेकिन गांव की सड़कों से कीचड़ और जलभराव की समस्या खत्म नहीं हुई। इस नारकीय स्थिति का मुख्य कारण संबंधित विभाग की लापरवाही है। गांव में पानी की टंकी के लिए पाइपलाइन बिछाने के उद्देश्य से सड़कें खोदी गई थीं, लेकिन काम खत्म होने के बाद उनकी मरम्मत करने की सुध किसी ने नहीं ली। टूटी हुई सड़कों ने अब दलदल का रूप ले लिया है।
दफ्तरों के चक्कर काट कर थके ग्रामीण, मिला सिर्फ ‘कोरा आश्वासन’
सड़क की बदहाली से त्रस्त ग्रामीण जब अपनी फरियाद लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों या प्रशासनिक अधिकारियों के पास पहुंचते हैं, तो उन्हें सिवाय “फौरी आश्वासन” के कुछ नहीं मिलता। अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए एक विभाग से दूसरे विभाग पर दोष मढ़ देते हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि वे सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट-काटकर थक चुके हैं, लेकिन अधिकारी टालमटोल के अलावा कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे।
मीडिया की खबरों का भी असर नहीं

प्रशासन की संवेदनहीनता का आलम यह है कि पूर्व में भी ‘ख़बर अलर्ट डॉट कॉम’ ने बंजारावाला की इस समस्या को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। बावजूद इसके, प्रशासन के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। ऐसा प्रतीत होता है कि जिम्मेदारों को न तो ग्रामीणों की पीड़ा दिखाई देती है और न ही मीडिया में छपी खबरों से उन्हें कोई सरोकार है।
अब सवाल यह है कि क्या प्रशासन कुंभकर्णी नींद से जागेगा और बंजारेवाला के ग्रामीणों को इस कीचड़ युक्त जीवन से मुक्ति दिलाएगा, या फिर ‘गड्ढा मुक्त’ अभियान केवल कागजों तक ही सीमित रह जाएगा?
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