हरिद्वार (आर सी/ संदीप कुमार)। एक ओर जहां धामी सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति का दावा कर रही है और हाल ही में नगर निगम के करोड़ों के ज़मीन खरीद-फरोख्त मामले में कई IAS और PCS अधिकारी निलंबित हुए हैं। जिनमें हरिद्वार के तत्कालीन ज़िलाधिकारी भी शामिल थे, वहीं दूसरी ओर सेवानिवृत्त पटवारी पर गंभीर आरोप लग रहे हैं। चर्चा है कि एक चर्चित सेवानिवृत्त पटवारी, जिसे पूर्व में विजिलेंस ने रिश्वतखोरी के आरोप में रंगे हाथ गिरफ्तार कर जेल भेजा था। जो फिलहाल ज़मानत पर बाहर है, उसे नगर निगम में संविदा पर पटवारी के पद पर नियुक्त कर दिया गया है। यह तब है जब देहरादून विजिलेंस में उसके खिलाफ मामला अभी भी विचाराधीन है। शहर में चर्चा है कि यह पटवारी अपनी पुरानी आदतों से बाज नहीं आ रहा है। सूत्रों के अनुसार अवैध निर्माणों की शिकायत पर जब इसे अधिकारियों द्वारा मौके पर जांच के लिए भेजा जाता है। तो यह अवैध निर्माणकर्ताओं से सांठगांठ कर जांच को प्रभावित करने का प्रयास करता है। अपनी जेब गर्म करने के बाद, यह अपने अधिकारियों को गुमराह करने पर आमादा रहता है। यहां तक कि यह भी चर्चा का विषय है कि तहसील में रहते हुए उसके द्वारा किए गए कई क्रियाकलापों की गंभीर जांचें आज भी चल रही हैं। इन सबके बावजूद, इस पटवारी पर कोई असर नहीं पड़ रहा है और वह धामी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति को लगातार चुनौती दे रहा है। अब पीड़ित शिकायतकर्ताओं ने ज़िले के डीएम सहित प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर इस पटवारी की आय से अधिक संपत्ति की जांच कराए जाने का मन बनाया है।
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