टिहरी/गोपेश्वर (आर सी / संदीप कुमार) श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय (SDSUV) की परीक्षा प्रणाली पर गंभीर संकट मंडरा रहा है। विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा एक उत्तर पुस्तिका की फोरेंसिक लैब में जांच कराए जाने के बाद, उसमें अंकों की हेराफेरी की आधिकारिक पुष्टि हुई है। इस खुलासे के बाद विवि के अधिकारियों की नींद उड़ गई है। हालांकि, अधिकारी फिलहाल इस गड़बड़ी का ठीकरा सॉफ्टवेयर की तकनीकी खराबी पर फोड़ रहे हैं।
परीक्षा प्रणाली आउटसोर्सिंग पर निर्भर
साल 2012 में बादशाहीथौल में स्थापित हुआ यह विश्वविद्यालय एक दशक से अधिक समय बीत जाने के बाद भी परीक्षाओं के संचालन के लिए एक ठोस आंतरिक ढांचा तैयार नहीं कर पाया है। विवि की परीक्षा और परिणाम जारी करने की पूरी प्रक्रिया आउटसोर्स किए गए डाटा सेंटर पर निर्भर है। विशेषज्ञ लगातार चेतावनी दे रहे हैं कि यह बाहरी निर्भरता ही उत्तर पुस्तिकाओं और अंकतालिकाओं में गड़बड़ी की आशंका को बढ़ा रही है।
आरटीआई ने खोली पोल: फेल छात्र 20 अंक अधिक पाकर हुआ पास
इस पूरे मामले की शुरुआत गोपेश्वर के राजकीय महाविद्यालय के बीए छात्र किशन सिंह के मामले से हुई, जिसने विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली पर सीधा सवाल उठाया।
शुरुआती परिणाम: विश्वविद्यालय पोर्टल पर किशन को अंग्रेजी विषय में मात्र 13 अंक मिले थे, जिसके कारण उसे फेल घोषित कर दिया गया।
शक और आरटीआई: छात्र को पूरा विश्वास था कि उसकी कॉपी चेकिंग में भारी गड़बड़ी हुई है। उसने सूचना का अधिकार (RTI) के तहत अंग्रेजी विषय की उत्तर पुस्तिका मंगवाई।
बड़ी गड़बड़ी का खुलासा: आरटीआई से मिली कॉपी में किशन के अंग्रेजी विषय में 33 अंक दर्ज थे—यानी पोर्टल के अंकों से पूरे 20 अंक अधिक।
प्रवेश और सुधार: छात्र ने इस आधार पर विश्वविद्यालय को शिकायत पत्र दिया। जिसके बाद विश्वविद्यालय को किशन की आपत्ति मानते हुए पोर्टल पर नई अंकतालिका जारी कर उसे पास घोषित करना पड़ा। इसी संशोधित परिणाम के आधार पर किशन ने एमए में प्रवेश भी ले लिया।
किशन सिंह के मामले के सामने आने और अब फोरेंसिक जांच में अंक हेराफेरी की पुष्टि हो जाने के बाद, विश्वविद्यालय की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। छात्रों और शिक्षाविदों ने मांग की है कि प्रशासन इस आउटसोर्स प्रणाली की गहन जांच करे और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करे।
क्या विश्वविद्यालय प्रशासन जल्द ही अपनी परीक्षा प्रणाली का आंतरिक ढांचा तैयार कर इस निर्भरता को खत्म कर पाएगा, यह देखने वाली बात होगी।