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खूनी बदला और 72 घंटों की धरपकड़।

Byआर सी

Oct 2, 2025

कनखल (आरसी / संदीप कुमार) सोमवार की रात की, जब हरिद्वार का शांत कनखल क्षेत्र गोलियों की आवाज़ से दहल उठा। दयाल एंक्लेव में रहने वाले सुमित जगजीतपुर निवासी को कुछ अज्ञात हमलावरों ने गोली मार दी और अंधेरे का फायदा उठाकर फरार हो गए।

हत्या की खबर मिलते ही पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक हरिद्वार ने इसे एक चुनौती के रूप में लिया। उन्होंने तुरंत सख्त आदेश जारी किए और प्रभारी निरीक्षक रविन्द्र शाह के नेतृत्व में एक विशेष टीम गठित कर दी। पुलिस के सामने चुनौती थी — खूनी हवा में गायब हो चुके थे, और शहर में तनाव बढ़ता जा रहा था।

टीम ने एक पल भी नहीं गंवाया। सबसे पहले, घटनास्थल की गहन जाँच की गई, जहाँ से उन्हें हत्या में प्रयुक्त कारतूस का एक खोखा मिला— पहला ठोस सुराग। इसके बाद, टीम ने सुमित के परिचितों, आसपास के संभावित क्षेत्रों और सड़कों पर लगे सीसीटीवी कैमरों को खंगालना शुरू किया। हर फुटेज, हर इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड की बारीक जाँच की गई। साथ ही, मुखबिरों के जाल को हर गली-नुक्कड़ पर फैला दिया गया।

लगातार 48 घंटे बीत चुके थे। पुलिस की टीम चैन की नींद नहीं सोई थी। रात-दिन की मेहनत, लगातार दबिशें और सुरागों को जोड़ने के बाद, आखिरकार बुधवार को पुलिस को एक पुख्ता सूचना मिली।

पता चला कि तीनों आरोपी, सावन, निशांत और कृष्णा, बैरागी कैंप क्षेत्र में छिपे हुए हैं। सूचना मिलते ही पुलिस टीम बिजली की तेज़ी से हरकत में आई और तुरंत घेराबंदी कर दी गई। तीनों फरार आरोपितों को सफलतापूर्वक हिरासत में ले लिया गया।

गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में, तीनों ने जुर्म कबूल कर लिया। उन्होंने बताया कि सुमित उनका परिचित था, लेकिन पुरानी किसी बात को लेकर उनके बीच इतना गहरा झगड़ा हो गया था कि उन्होंने बदला लेने के लिए सुमित को रास्ते से हटाने का फैसला कर लिया। यह हत्या अचानक नहीं, बल्कि सोची-समझी साजिश का हिस्सा थी।

पुलिस ने उनकी निशानदेही पर हत्या में इस्तेमाल की गई रिवाल्वर, चार ज़िन्दा कारतूस और घटना में प्रयुक्त बिना नंबर की मोटरसाइकिल भी बरामद कर ली।

केवल 72 घंटों के भीतर, कनखल पुलिस ने न सिर्फ हत्या के पीछे की पुरानी रंजिश का पर्दाफाश किया, बल्कि फरार हत्यारों को दबोचकर और हथियार बरामद करके यह साबित कर दिया कि कानून के हाथ लंबे होते हैं और अपराधी कितना भी शातिर क्यों न हो, न्याय से बच नहीं सकता। यह सफलता हरिद्वार पुलिस की तत्परता और पेशेवर कार्यशैली का प्रमाण बन गई।

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