इंदौर की पीएचडी स्कॉलर और संयुक्त राष्ट्र में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकीं डॉ. रोहिणी घावरी ने नगीना से सांसद और भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद (उर्फ रावण) पर गंभीर आरोप लगाकर एक नए विवाद को जन्म दिया है। यह मामला सोशल मीडिया, विशेष रूप से X पर तेजी से वायरल हो रहा है, और लोगों के बीच तीखी बहस छिड़ गई है।
रोहिणी घावरी के आरोप
वाल्मीकि समाज से आने वाली रोहिणी घावरी ने X और अन्य समाचार संस्थान को अपनी आपबीती साझा करते हुए चंद्रशेखर पर मानसिक और भावनात्मक उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। रोहिणी का दावा है कि चंद्रशेखर ने उन्हें प्रेम में बांधकर उनके जीवन के कीमती वर्ष बर्बाद किए और शादी की बात आने पर उन्हें छोड़ दिया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि चंद्रशेखर ने अपनी शादीशुदा स्थिति को उनसे छुपाया और जाटव समाज की कई अन्य लड़कियों के साथ भी कथित तौर पर शोषण किया।रोहिणी ने अपनी पोस्ट में लिखा
“मैंने इस आदमी को सच्चा आंदोलनकारी मानकर इसके साथ खड़ी हुई, लेकिन ये मेरी सबसे बड़ी गलती थी।
मेरी ईमानदारी ही मेरा सबूत है।”
उन्होंने यह भी कहा कि वह चंद्रशेखर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगी और जरूरत पड़ने पर भारत आकर अपने वकीलों के माध्यम से FIR दर्ज कराएंगी। साथ ही, उन्होंने अपनी जान को खतरा होने की आशंका भी जताई है। चंद्रशेखर की चुप्पी, समर्थकों का पलटवारइस मामले में चंद्रशेखर आजाद ने अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, जिसे कई X और फेसबुक यूजर्स ने उनकी “खामोशी” के रूप में देखा है। हालांकि, उनके समर्थकों और कार्यकर्ताओं ने रोहिणी के खिलाफ अपमानजनक और असभ्य टिप्पणियां की हैं, जिसकी कई लोगों ने निंदा की है।सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएँ x और फेसबुक पर इस विवाद ने दो धड़ों को जन्म दिया है। कुछ यूजर्स रोहिणी के समर्थन में हैं और इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा
“बेटी चाहे किसी समाज की हो, न्याय मिलना चाहिए।”
वहीं, कुछ लोग इस मामले को राजनीति से जोड़कर देख रहे हैं। एक पोस्ट में दावा किया गया कि चंद्रशेखर को बीजेपी द्वारा दलित और मुस्लिम वोटों को प्रभावित करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।कई यूजर्स ने सुझाव दिया कि रोहिणी को सोशल मीडिया पर आरोप लगाने के बजाय थाने में FIR दर्ज करानी चाहिए, क्योंकि उनके आरोप भारतीय दंड संहिता (BNS) के तहत गंभीर अपराधों की श्रेणी में आ सकते हैं।
सामाजिक और राजनीतिक आयाम
यह विवाद केवल व्यक्तिगत आरोपों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें सामाजिक और राजनीतिक आयाम भी जुड़ गए हैं। कुछ यूजर्स ने इस मामले को दलित समाज के भीतर एकता और शोषण के मुद्दों से जोड़ा है। एक पोस्ट में कहा गया कि जब सवर्ण समाज द्वारा शोषण होता है, तो दलित समाज एकजुट होकर विरोध करता है, लेकिन जब कोई दलित नेता शोषण का आरोपित होता है, तो समाज चुप्पी साध लेता है।रोहिणी ने अपनी पोस्ट में आत्मघाती विचारों का भी जिक्र किया और कहा कि ऐसी धोखाधड़ी और सामाजिक दबाव के कारण कई लड़कियां आत्महत्या कर लेती हैं। उन्होंने जोर देकर कहा
“अगर मैं अपने लिए नहीं लड़ी, तो देश की बाकी बेटियों के लिए क्या लड़ूंगी?”
रोहिणी घावरी का परिचय
रोहिणी घावरी इंदौर की रहने वाली हैं और स्विट्जरलैंड में पीएचडी कर रही हैं। वह एक सफाई कर्मचारी की बेटी हैं और भारत सरकार से 1 करोड़ रुपये की नेशनल ओवरसीज स्कॉलरशिप प्राप्त कर चुकी हैं। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में भारत का प्रतिनिधित्व किया है और राम मंदिर जैसे मुद्दों पर अपने भाषणों के लिए चर्चा में रही हैं।
यह मामला अभी प्रारंभिक चरण में है और मुख्यधारा के मीडिया में इसकी व्यापक कवरेज नहीं हुई है। रोहिणी के आरोपों की सत्यता की पुष्टि के लिए स्वतंत्र जांच की आवश्यकता है। चंद्रशेखर की चुप्पी और उनके समर्थकों की प्रतिक्रियाएँ इस विवाद को और जटिल बना रही हैं। इस मामले में कानूनी कार्रवाई और जांच के परिणाम आने वाले दिनों में स्थिति को और स्पष्ट कर सकते हैं। तब तक, सोशल मीडिया पर चल रही बहस और आरोप-प्रत्यारोप इस विवाद को सुर्खियों में बनाए रख रहे हैं।