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रुड़की: निजी कंपनियों में मजदूर शोषण के खिलाफ PPID यूथ विंग का “पीपल्स सोशल एक्शन” हुआ तेज, न्यूनतम मजदूरी अधिनियम लागू

Byआर सी

Jun 14, 2025

रुड़की(आर सी/संदीप कुमार) निजी कंपनियों में मजदूरों के शोषण के खिलाफ पीपल्स पार्टी ऑफ इंडिया डेमोक्रेटिक (PPID) की यूथ विंग ने “पीपल्स सोशल एक्शन” के तहत एक बार फिर मजदूरों के हक की लड़ाई को मजबूती दी। इस बार निशाने पर थी एपीस इंडिया लिमिटेड कंपनी, जहां मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के तहत 12,500 रुपये वेतन और श्रमिक सुविधाओं की गारंटी दिलाने के लिए यूथ विंग ने आंदोलन तेज किया।विगत कई दिनों से एपीस इंडिया लिमिटेड में मजदूरों के शोषण के खिलाफ PPID यूथ विंग के नेतृत्व में धरना-प्रदर्शन चल रहा था। इस दौरान उप जिला अधिकारी और श्रम परिवर्तन अधिकारी, रुड़की से वार्ता के बाद 13 जून 2025 को श्रम विभाग कार्यालय में श्रमिकों और कंपनी प्रबंधन के बीच अहम बैठक हुई। इस बैठक में यूथ विंग के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मजदूर नेता इंजीनियर ललित कुमार ने मजदूरों का पक्ष मजबूती से रखा। उनके दबाव में कंपनी प्रबंधन को न्यूनतम मजदूरी अधिनियम लागू कर प्रत्येक मजदूर का वेतन 6,000 रुपये से बढ़ाकर 12,500 रुपये करने के लिए सहमति देनी पड़ी। साथ ही, पिछले दो वर्षों से वेतन में की गई कटौती को भी वापस करने का आश्वासन दिया गया।इंजीनियर ललित कुमार के नेतृत्व में अब तक 400 से अधिक मजदूरों का मासिक वेतन 6,000 रुपये से बढ़ाकर 12,500 या 13,500 रुपये कराया जा चुका है। इस ऐतिहासिक जीत से मजदूरों में खुशी की लहर दौड़ गई है। “पीपल्स सोशल एक्शन” के तहत यह कदम मजदूरों के लिए एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है, जिससे न्यूनतम मजदूरी अधिनियम को लागू करने की मुहिम और तेज हो गई है।इस आंदोलन से प्रेरित होकर मजदूर और आमजन बड़ी संख्या में “पीपल्स सोशल एक्शन” से जुड़ रहे हैं। धरना-प्रदर्शनों के माध्यम से अपने हक और अधिकारों के लिए आवाज बुलंद करने का साहस बढ़ रहा है। इस अवसर पर यूथ विंग के राज्य प्रभारी गोविंद सिंह, युवा नेता अनुज गौतम, वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता वैज्ञानिक दिगंबर सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता सुमित कुमार और महिला श्रमिकों सहित कई लोग उपस्थित रहे।PPID यूथ विंग का यह अभियान निजी कंपनियों में मजदूरों के शोषण के खिलाफ एक सशक्त संदेश दे रहा है। मजदूरों का कहना है कि यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक प्रत्येक श्रमिक को उसका पूरा हक और सम्मानजनक जीवन नहीं मिल जाता।

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