देहरादून(आरसी / संदीप कुमार) उत्तराखंड पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPCL) के लिए प्रदेश में बड़े पैमाने पर हो रही बिजली चोरी एक गंभीर चुनौती बनी हुई है, जिससे निगम को हर साल करोड़ों रुपए का घाटा हो रहा है। हाल ही में नियामक आयोग ने भी UPCL की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के दौरान इस चिंता को उजागर किया और निगम को सबसे अधिक घाटा देने वाले फीडरों पर विशेष ध्यान देने की नसीहत दी।
UPCL के लिए मंगलौर, लढ़ौरा सहित प्रदेश के आठ शहर बिजली चोरी के मामले में ‘बदनाम’ माने गए हैं। नियामक आयोग ने इन ‘हाई लॉस फीडरों’ को निगम के लिए ‘घुन’ के समान बताया, जिससे करोड़ों की बिजली चोरी हो रही है।
इन क्षेत्रों में सबसे अधिक नुकसान:
आयोग के समक्ष प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, इन क्षेत्रों में समग्र तकनीकी और वाणिज्यिक हानियां (AT&C) रिकॉर्ड स्तर पर हैं:
* जोशीमठ: 53.92 प्रतिशत
* खटीमा: 53 प्रतिशत
* गदरपुर: 30.58 प्रतिशत
* सितारगंज: 27.25 प्रतिशत
* जसपुर: 27 प्रतिशत
* लक्सर: 27 प्रतिशत
*लंढौरा: 69.40 प्रतिशत
* मंगलौर: 47.69 प्रतिशत
रुड़की डिविजन में भी घाटा लगातार बना हुआ है। डिविजन में वर्ष 2023-24 में 31.50 प्रतिशत हानियां दर्ज की गईं, जो पिछले वर्षों 2021-22 (31.21 प्रतिशत) और 2022-23 (31.09 प्रतिशत) की तुलना में अधिक है।
MD का सख्त आदेश: औद्योगिक इकाइयों का होगा एनर्जी ऑडिट
हाल ही में हरिद्वार के नारसन क्षेत्र में बिजली मीटर से छेड़छाड़ कर विभाग के ही कर्मचारियों की मिलीभगत से बिजली चोरी का एक बड़ा मामला सामने आया था। इस गंभीर प्रकरण के बाद, UPCL के प्रबंध निदेशक (MD) अनिल कुमार ने सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

उन्होंने रुड़की, भगवानपुर समेत पूरे क्षेत्र में उच्च बिजली खपत वाले सभी औद्योगिक इकाइयों का एनर्जी अकाउंटिंग ऑडिट करने का आदेश दिया है। इस ऑडिट का उद्देश्य यह स्पष्ट करना है कि बिजली की खपत किस स्तर पर हो रही है और कहीं कोई गड़बड़ी तो नहीं है। यदि ऑडिट में कोई अनियमितता पाई जाती है, तो उसके आधार पर सख्त कार्यवाही की जाएगी।
यह कार्रवाई UPCL के घाटे को कम करने और प्रदेश में बिजली चोरी पर नकेल कसने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।