देहरादून। सहस्रधारा रोड स्थित आईटी पार्क से संबंधित भूखंडों (प्लॉट R-1 और R-2) के हालिया ई-निविदा आवंटन पर उठी आपत्तियों पर राज्य अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास निगम लि. (सिडकुल) ने स्पष्टीकरण जारी किया है। सिडकुल ने इस बात पर जोर दिया है कि विवादित भूखंड मूल रूप से ‘आवासीय क्षेत्र’ के लिए ही चिन्हित थे और इनका आवंटन पारदर्शी तरीके से किया गया है।
प्रमुख बिंदु:
* कांग्रेस शासनकाल में ही हुई थी शुरुआत: सिडकुल के अनुसार, प्रश्नगत भूखंड आईटी पार्क के औद्योगिक क्षेत्र से पृथक हैं। वर्ष 2006 और 2008 के शासनादेशों के तहत यह भूमि ‘आवासीय क्षेत्र’ हेतु आवंटित की गई थी। इसके बाद, सिडकुल निदेशक मण्डल की 34वीं बैठक (30 मार्च, 2012) में इसे “IT Park Residential site” के रूप में प्रख्यापित किया गया था।
* 2012-13 में हुए थे पहले आवंटन: सिडकुल ने बताया कि वर्ष 2012 और 2013 में इसी ‘आवासीय प्रयोजन’ के तहत मै. जी.टी.एम. बिल्डर्स एवं प्रोमोर्टस प्रा.लि., नाबार्ड और आर.बी.आई. को भूखंड आवंटित किए गए थे।
* निरस्तीकरण और पुनः निविदा: नाबार्ड और आर.बी.आई. को आवंटित भूखंडों पर समय से कार्य शुरू न होने के कारण, सिडकुल निदेशक मण्डल की 61वीं बैठक (04 अगस्त, 2023) में इन आवंटनों को निरस्त कर दिया गया। इन निरस्त किए गए भूखंडों पर ही पारदर्शी प्रक्रिया के तहत, उत्तराखण्ड अधिप्राप्ति नियमावली, 2025 के अंतर्गत, प्लॉट R-1 एवं R-2 के लिए ई-निविदा प्रकाशित की गई थी।
* प्रयोजन में कोई बदलाव नहीं: सिडकुल ने स्पष्ट किया कि निविदा संख्या 206/सिडकुल/2025 एवं 207/सिडकुल/2025 (दिनांक 25 जुलाई, 2025) के माध्यम से किया गया यह आवंटन ‘आवासीय प्रयोजन’ हेतु ही था, जैसा कि यह शुरू से चिन्हित था। सिडकुल ने अपनी विज्ञप्ति में यह भी बताया कि हरिद्वार, पंतनगर, सितारगंज जैसे एकीकृत औद्योगिक आस्थानों में औद्योगिक विकास के साथ-साथ एकीकृत विकास के लिए आवासीय, व्यवसायिक, संस्थागत और स्वास्थ्य सुविधाओं हेतु भूखंड आवंटित करने का प्राविधान पहले से ही है। सिडकुल के अधिकारियों ने जोर दिया कि अधिकतम एवं सफल बोलीप्रदाता को भूखंड आवंटन करने के लिए समस्त प्रक्रिया का पूर्ण परिपालन किया गया है और भूखंड का प्रयोजन बदला नहीं गया है, बल्कि इसे उसके मूल “आवासीय प्रयोजन” के लिए ही आवंटित किया गया है।