मंगलौर(आरसी / संदीप कुमार) कस्बा आमतौर पर शांत रहता था, लेकिन सोमवार की दोपहर को पठानपुरा मोहल्ले में अजीबोगरीब तनाव फैल गया। तनाव किसी बाहरी झगड़े का नहीं था, बल्कि दो परिवारों के बीच गहराते पारिवारिक विवाद का था। इस तनाव के केंद्र में थे पाँच युवक आरिफ, सावेज, साहिल, जफर और रिहान।

झगड़ा इतना बढ़ गया था कि दोनों पक्ष अब सिर्फ बहस नहीं कर रहे थे, बल्कि खुलेआम मारपीट पर उतारू थे। गलियों में आवाज़ें गूँज रही थीं, और आस-पास के लोग डरकर अपने घरों के दरवाज़े बंद करने लगे थे।

“बस, अब बहुत हो गया!” सावेज ने चिल्लाकर कहा और जफर को धक्का दे दिया।
“आज हिसाब होगा!” जफर ने पलटवार किया और एक लकड़ी उठाने की कोशिश की।

यह सब देखकर, किसी ने तुरंत कोतवाली मंगलौर को सूचना दी। सूचना मिलते ही, अ०उ०नि० हरिमोहन के नेतृत्व में एक पुलिस टीम तुरंत मौके पर पहुँची। टीम में कानि० पप्पू कश्यप और होमगार्ड के जवान सुमित, अंकित और निर्देश शामिल थे।
जब पुलिस टीम वहाँ पहुँची, तो उन्होंने देखा कि पाँचों युवक, जिनकी रगों में गुस्सा भरा था, आमदा फसाद की मुद्रा में थे। वे एक-दूसरे पर झपट रहे थे, मानों किसी बड़े संघर्ष के लिए तैयार हों।

अ०उ०नि० हरिमोहन ने अपनी गंभीर आवाज़ में उन्हें रोकने की कोशिश की। “शांति! सब लोग रुक जाओ! यह क्या तमाशा है?”
पुलिस टीम ने उन्हें बार-बार समझाया, शांत होने की सलाह दी, और उन्हें परिवार की मर्यादा का वास्ता दिया। लेकिन गुस्से की आग इतनी तेज़ थी कि कोई सुनने को तैयार नहीं था।
“साहब, आप बीच में मत आइए,” आरिफ ने गुस्से में कहा। “यह हमारा अंदरूनी मामला है।”
कानि० पप्पू कश्यप ने हस्तक्षेप किया, “अंदरूनी मामला हो या बाहरी, अगर इससे शान्ति भंग होती है और कस्बा का माहौल बिगड़ता है, तो यह हमारा काम है।”
पुलिस अधिकारियों को यह स्पष्ट दिख रहा था कि अगर वे तुरंत कोई सख़्त कदम नहीं उठाते, तो यह छोटा-सा पारिवारिक झगड़ा कुछ ही पलों में संज्ञेय अपराध शायद गंभीर चोट या हत्या के प्रयास में बदल सकता था। लोगों की सुरक्षा और कस्बे की शांति दाँव पर थी।
अ०उ०नि० हरिमोहन ने स्थिति की गंभीरता को भाँपते हुए, अंतिम निर्णय लिया। उन्होंने अपने सहयोगियों से कहा, “ये किसी भी तरह से नहीं मान रहे हैं। मौके पर शान्ति भंग होने का अंदेशा स्पष्ट है। हमारे पास अब कोई चारा नहीं है।”
तुरंत कार्रवाई करते हुए, पुलिस टीम ने पाँचों झगड़ालू युवको आरिफ, सावेज, साहिल, जफर और रिहान को हिरासत में ले लिया।
कोतवाली ले जाकर, पुलिस ने उन सभी के विरुद्ध धारा 170 बीएनएसएस के तहत चालान की कार्रवाई की। यह कार्रवाई उन्हें इसलिए करनी पड़ी ताकि वे आगे किसी बड़े अपराध को अंजाम देने से रोक सकें और कस्बे की शांति व्यवस्था कायम रह सके।
शाम होते-होते, जब पाँचों युवक हवालात में थे, तब जाकर मंगलौर कस्बे ने राहत की साँस ली। पुलिस की इस त्वरित और निवारक कार्रवाई ने एक संभावित बड़े अपराध को टाल दिया था, यह साबित करते हुए कि सार्वजनिक शांति के लिए कानून का हस्तक्षेप कितना आवश्यक है।
यह घटना मंगलौर में एक सीख बन गई कि व्यक्तिगत विवादों को हिंसा का रूप नहीं देना चाहिए, अन्यथा कानून अपना काम करने में देर नहीं लगाता।
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