दोहा(आर सी/संदीप कुमार) शुक्रवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कतर के दोहा में आयोजित एक बिजनेस इवेंट में एप्पल के सीईओ टिम कुक से भारत में आईफोन मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने के बजाय अमेरिका पर ध्यान देने की बात कही। ट्रंप ने कहा, “मैं नहीं चाहता कि एप्पल भारत में अपने ऑपरेशन्स का विस्तार करे। भारत उच्च टैरिफ वाला देश है, और वहां अमेरिकी सामान बेचना मुश्किल है।” हालांकि, उन्होंने दावा किया कि भारत ने हाल ही में अमेरिकी वस्तुओं पर शून्य टैरिफ की पेशकश की है।
ट्रंप के इस बयान ने भारत में राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया। विपक्षी दल कांग्रेस ने इसे भारत की आर्थिक संप्रभुता पर हमला करार देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कड़ी प्रतिक्रिया की मांग की। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, “ट्रंप का बयान भारत की औद्योगिक प्रगति को रोकने की कोशिश है। मोदी सरकार को इसका जवाब देना चाहिए।”
दूसरी ओर, एप्पल ने भारत में अपने निवेश और मैन्युफैक्चरिंग हब की योजनाओं को जारी रखने की प्रतिबद्धता जताई। कंपनी के एक प्रवक्ता ने कहा, “भारत हमारे लिए महत्वपूर्ण बाजार और उत्पादन केंद्र है। हम यहां अपने परिचालन को और मजबूत करेंगे।” आंकड़ों के मुताबिक, मार्च 2025 तक भारत में 22 बिलियन डॉलर मूल्य के आईफोन का उत्पादन हो चुका है, जो पिछले साल की तुलना में 60% अधिक है।
ट्रंप की यह टिप्पणी उनकी ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति का हिस्सा मानी जा रही है, जिसका लक्ष्य अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका में आईफोन उत्पादन लागत और इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी के कारण चुनौतीपूर्ण होगा। भारत में एप्पल की मौजूदगी न केवल स्थानीय रोजगार सृजन में योगदान दे रही है, बल्कि कंपनी को चीन पर निर्भरता कम करने में भी मदद कर रही है।
यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है, जब भारत वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है। ट्रंप के बयान के दीर्घकालिक प्रभावों पर नजर रखी जा रही है, खासकर भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों के संदर्भ में