बहादराबाद (आर सी/ संदीप कुमार) गांव शांतरशाह में कई चिकन सेंटर हैं जिनमें आए दिन दस- बीस मुर्गे कटते हैं। मुर्गे के खाए जाने वाले अंग तो ग्राहकों को काटकर अलग से बेच दिए जाते हैं लेकिन मुर्गे कटाई के दौरान निकलने वाला खून और मुर्गे के ना बिकने वाले अवशेष अंग जैसे पंख और आंतें ओझड़ी आए दिन चिकन सेंटर संचालक द्वारा एक जगह मुर्गे काटने वालों द्वारा दुकान में ही संगृहीत कर ली जाती हैं। लेकिन रात होते ही अंधेरे का फायदा उठाकर चिकन सेंटर संचालक खुले में गांव में आने जाने वाले रास्ते के किनारे डाल देते हैं। जिसमें गांव के कई रास्तों के किनारों पर मांस और खून की गंध को महसूस कर आवारा कुत्ते चले आते हैं । काम से देर रात ग्रामीणों के लौटते समय कुत्तों का झुंड झपट पड़ने की खतरा बना रहता है। गांव के बाहर सिंंभल तिराहे पर रात होते ही मुर्गे के अपशिष्ट को निवाला बनाने के लिए गांव के सारे आवारा कुत्ते एकत्रित हो जाते हैं । सिंभल तिराहा दिन रात गांव में आने जाने का मुख्य मार्ग हैं । खुले में पड़े साढ़े गले मुर्गे के अवशेष अंगों से कुत्तों के अंदर संक्रमण का खतरा भी बना रहता हैं। देखा गया हैं, मुर्गे के अवशेष अंग आवारा कुत्तों द्वारा इधर उधर फेक दिए जाते हैं । कभी कभी तो गांव के गलियारों तक ये मांस के अवशेष पहुंच जाते हैं । बचे खुचे मांस के मुर्गे के अवशेष अंग के सड़ने के बाद रास्तों में दुर्गन्ध फैले जाती हैं। जिससे राहगीरों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता हैं। और नाक दबा कर रास्तों से गुजराना पड़ता हैं आजकल बरसात के मौसम में मुर्गे के अवशेष अंग पानी पर तैरते देखे जा सकते हैं जिनको देखकर शाकाहारी लोगों की रास्ते में पड़े मुर्गे के अवशेष अंग से भावनाएं आहत होती हैं । चौतरफा फैले मुर्गे के अवशेष अंग ग्रामीणों में आजकल चर्चा का विषय बन चुके हैं । जानकारी ये भी आई है कि गांव में कई ऐसे चिकन सेंटर हैं जो बिना अनुमति ही संचालित हो रहे हैं । गंभीर बात ये हैं कि कोई भी चिकन सेंटर संचालक मुर्गे के अवशेष अंगों का सही से निस्तारण नहीं करते हैं मौन हैं लेकिन आम ग्रामीणों के बीच ये चर्चा का विषय बन गया हैं। आखिर कौन से ऐसे दुकानदार है? जो ये मुर्गे के अवशेष अंगों को खुले में डाल रहे हैं । आखिर कौन इन लापरवाह चिकन सेंटर संचालकों पर कार्यवाही करेगा?