हरिद्वार (आर सी / संदीप कुमार) शांतरशाह क्षेत्र में बारिश के चलते कई जगहों पर पानी भर जाने के चलते लोगों को काफी दिक्कतें आ रही हैं । पूर्व में तालाब और उसमें भरे पानी का मुद्दा लगातार जारी था ऊपर से बरसात के मौसम में आसमान से पानी पड़ा तो लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा हैं तालाब के पानी की दिक्कत में कई बार तहसील रुड़की प्रशासन की ओर से प्रयास किया गया लेकिन स्थिति जौ की तौ रही पानी से ग्रामीणों को कोई निजात नहीं मिली ।

अब बारिश का मौसम हैं आसमान से गिरता पानी सड़कों को अपनी जद में ले रहा हैं । कई सड़के ऐसी हैं जिनकी देख कर लगता हैं पानी में समा गई हैं। ग्रामीणों का कहना हैं शांतरशाह पतंजलि क्षेत्र के आसपास कई कॉलोनियां जो बिना पानी निकासी की व्यवस्था के काटी गईं। जिनके बिना व्यवस्थित निर्माण के शांतरशाह और उसके आसपास के क्षेत्रों में भारी मात्रा में पानी रुका हुआ हैं ।

अब ग्रामीण ही नहीं बल्कि आसपास की कई आवासीय कालोनिया भी पानी की गिरफ्त में हैं कई ऐसे घर हैं जिनके अंगना तक पानी पहुंच रहा हैं प्लॉट लेकर अपनी कमाई लगाने वाले कह रहे हैं यहां मकान बनना हमारी भूल था डीलरो ने सुविधा के नाम पर मोटी रकम तो ली ही। लेकिन बारिश में जब भांडा फूटा तो अब आंख दिखाते नजर आ रहे हैं । सरकार और प्रशासन पर दोष थोप रहे हैं कि प्रशासन द्वारा हमें तो कालोनियों के अप्रूवल के सम्बन्ध में फीस दी थी लेकिन सुविधा नहीं मिली तो हम इसमें क्या कर सकते हैं ।

कई घर ऐसे हैं जिनकी चौखट और फर्श पर पानी छू कर लौट रहा हैं। बच्चों का स्कूल तक जाना मुश्किल हो रहा हैं घरों में सांप बिच्छू व जलीय जीव तक घुसने की घटना तो आम हो गई हैं काम पर जाना मुश्किल हो रहा हैं। पतंजलि से वर्धमान औद्योगिक क्षेत्र में जाने वाले रास्ते में घुटनों से ऊपर पानी भरा हैं जिससे को मालवाहकों को काफी दिक्कतें आ रही हैं । यहां से पानी रुड़की तहसील प्रशासन द्वारा यहां से पानी निकालने के लिए पतंजलि शांतरशाह मार्ग के किनारे नाला खोदकर पंपिंग सेट से पानी निकाला जा रहा हैं ।
सड़क किनारे नाला खुदाई से निकली मिट्टी ने व्यस्त रहने वाले मार्ग को कीचड़ से लबालब कर दिया हैं सड़क पर बने गड्ढे और उनमें भरा पानी दुर्घटनाओं को न्यौता दे रहा हैं । कई ग्रामीणों बुजुर्गो का कहना है, कि सालों पहले शांतरशाह क्षेत्र में बारिश के समय पानी तो आता था लेकिन बारिश जौ ही खत्म होती पानी चंद घंटों में उतर जाता था।
लेकिन अंधाधुंध निर्माण और अव्यवस्थित विकास की इस दौड़ ने पानी को घेर लिया हैं और ये समस्या वक्त और विकास के साथ और पनपेंगे।
अभी तो लगातार प्रशासन पानी निकासी और राहत कार्यों में जुटा हैं लेकिन अगर अव्यवस्थित विकास में शुल्क लेकर अप्रूवल ऑफिस में बैठकर देते रहे या इस पानी निकासी की समस्या पर ध्यान नहीं दिया गया तो वर्ष डर वर्ष पानी की मार झेलनी पड़ेगी। क्योंकि बारिश तो हर साल आती ही रहती हैं। संबंधित विभाग अगर खानापूर्ति की जगह स्थाई समाधान पर विचार करें तो सालों साल तक पानी की मार नहीं झेलनी पड़ेगी।