बहादराबाद (आरसी/संदीप कुमार) भारापुर भौंरी गाँव में बुधवार को हवाओं में एक खास तनाव था। यह तनाव किसी आपसी मनमुटाव का नहीं, बल्कि बहुउद्देशीय भारापुर साधन सहकारी समिति लिमिटेड के संचालक पद के चुनाव का था। यह समिति किसानों और ग्रामीणों के लिए कितनी महत्वपूर्ण है, यह बात हर मतदाता जानता था। कुल 11 वार्डों पर चुनाव होने थे, लेकिन कहानी शुरू होने से पहले ही पाँच वार्डों पर सहमति और सहयोग की स्याही पड़ चुकी थी।

पहला अध्याय शांति का था। पाँच लोगों ने सर्वसम्मति से नेतृत्व की बागडोर संभाली। ख्वाजीपुर से फूलदाई और प्रदीप (दोनों रामपाल के परिवार से) ने, मंगरूमपुर दीदाहेडी से फरजाना और मुर्तजा ने, और हलवाहेडी से आसमां ने निर्विरोध संचालक का पद संभाल लिया। इन पाँच वार्डों ने दिखा दिया कि जहाँ सहयोग की भावना हो, वहाँ संघर्ष की ज़रूरत नहीं होती।

लेकिन शेष 6 वार्डों पर सहमति नहीं बन पाई, और कहानी ने मोड़ लिया। बुधवार की सुबह 9 बजे, मतदान केंद्र के दरवाज़े खुल गए। उम्मीदें और उत्साह लेकर मतदाता पंक्ति में खड़े थे। यह संघर्ष दोपहर 4 बजे तक चला।

जैसे ही शाम ढलने लगी, मतपेटियाँ खुलीं। एक-एक पर्ची ने उम्मीदवार के भाग्य का फैसला किया।
भारापुर में मुकाबला कड़ा था। वारिशा को 162 वोट मिले, लेकिन हुस्नजनहा ने 175 वोट पाकर यह बाजी जीत ली।
मुस्तफाबाद में सबसे बड़ा अंतर दिखा। शौकीन (249 वोट) और मुहम्मद इंतजार (केवल 6 वोट) ने हार मानी, जबकि मुकर्रम अली ने रिकॉर्ड 344 वोट पाकर ज़ोरदार जीत दर्ज की।
रतनपुर में, इसरार (100 वोट) के मुकाबले रियाज़ अहमद 177 वोट लेकर विजेता बनकर उभरे।
गोविंदपुर का चुनाव सबसे रोमांचक रहा। पॉपिन कुमार को 121 मत मिले, लेकिन संदीप कुमार ने सिर्फ दो वोटों के मामूली अंतर से, 123 वोट पाकर जीत की रेखा पार की। यह जीत और हार का फासला बस एक साँस जितना था।
अंत में, भौंरी गाँव के परिणाम आए। पुरुषों के वार्ड में, सुरेशचंद 204 वोट पाकर संघर्ष करते रहे, पर अक्षय ने 227 वोट से जीत हासिल की। महिलाओं के वार्ड में भी रोमांच रहा, जहाँ सुनीता 197 वोट पर अटक गईं, वहीं सुकमा 237 वोटों के साथ जीत का परचम लहराने में सफल रहीं।
शाम लगभग बजे तक, सभी परिणाम घोषित हो चुके थे। शांतिपूर्ण माहौल में, 6 नए संचालक घोषित हुए हुस्नजनहा, मुकर्रम अली, रियाज़ अहमद, संदीप कुमार, अक्षय और सुक्रमा।
यह चुनाव सिर्फ संचालक चुनने का नहीं था, बल्कि यह बताता था कि कैसे एक सहकारी समिति के माध्यम से ग्रामीण एकजुट होते हैं—कहीं निर्विरोध सहयोग से, तो कहीं मतदान के ज़रिए स्वस्थ प्रतिस्पर्धा से। अब ये 11 संचालक मिलकर क्षेत्र के विकास की नई कहानी लिखने के लिए तैयार थे।
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