भगवानपुर (आर सी/ संदीप कुमार) हरियाणा को नशा मुक्त करने और “दूध दही का खाना” जैसे पारंपरिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए एक अनूठी पहल के तहत, जींद के रविंद्र तोमर पहलवान ने हरिद्वार से चंडीगढ़ तक पैदल कांवड़ बुग्गी यात्रा शुरू की। यह यात्रा हरियाणा में 700 गाँवों को नशा मुक्त करने की उपलब्धि के उपलक्ष्य में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को गंगा जल अर्पित करने के उद्देश्य से निकाली गई है। यह कांवड़ यात्रा न केवल धार्मिक भावनाओं को दर्शाती है, बल्कि नशे के खिलाफ जागरूकता फैलाने का एक शक्तिशाली माध्यम भी बन रही है।
बुग्गी कांवड़ के साथ तस्वीर लेते सेवक
यात्रा का उद्देश्य और प्रभाव
रविंद्र तोमर की यह कांवड़ यात्रा नशे के खिलाफ एक सामाजिक संदेश को लेकर आगे बढ़ रही है। हरियाणा में नशा मुक्ति के लिए पहले भी रविंद्र तोमर ने कई प्रयास किए हैं, जिनमें 16 जिलों की पैदल बुग्गी यात्रा शामिल है, जिसमें उन्होंने युवाओं को नशे से दूर रहने और दूध-दही जैसे पौष्टिक आहार को अपनाने का संदेश दिया था। इस बार उनकी कांवड़ यात्रा ने भगवानपुर, उत्तराखंड में भी लोगों का ध्यान आकर्षित किया।
भगवानपुर में हुआ भव्य स्वागत
सोमवार को भगवानपुर, उत्तराखंड में स्थित उत्तराखंड प्लेसमेंट सर्विस कार्यालय पर रविंद्र तोमर का भव्य स्वागत किया गया। चौधरी अरुण मीरगपुर, शेखर चौधरी, सचिन, अक्षित त्यागी, शिवम सहित कई स्थानीय लोगों ने कांवड़िए का सत्कार और सम्मान किया। इस अवसर पर अरुण चौधरी ने रविंद्र तोमर की इस पहल की सराहना करते हुए कहा, “हरियाणा के ही नहीं, बल्कि देश के प्रत्येक युवा को नशे से दूर रहना चाहिए। नशा जीवन और जवानी दोनों का नाश करता है। रविंद्र तोमर की यह कांवड़ यात्रा अब तक की सबसे प्रभावशाली कांवड़ है, और हर किसी को इससे प्रेरणा लेनी चाहिए।”
नशा मुक्ति के लिए हरियाणा सरकार के प्रयास
हरियाणा सरकार भी नशा मुक्ति के लिए सक्रिय रूप से कार्य कर रही है। हाल ही में, सरकार ने 46 नए नशा मुक्ति केंद्र खोलने की घोषणा की है, जिनमें 12 जिला अस्पतालों और 34 उपमंडल स्तर पर होंगे। इसके अलावा, साइक्लोथॉन 2.0 जैसे जागरूकता अभियानों के माध्यम से युवाओं को नशे के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक किया जा रहा है। रविंद्र तोमर की यह कांवड़ यात्रा सरकार के इन प्रयासों को और मजबूती प्रदान करती है।
सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व
कांवड़ यात्रा, जो परंपरागत रूप से गंगा जल को शिव मंदिरों में अर्पित करने के लिए निकाली जाती है, इस बार नशा मुक्ति के संदेश के साथ एक सामाजिक क्रांति का प्रतीक बनी है। यह यात्रा हरियाणा की सांस्कृतिक पहचान “जित दूध दही का खाना” को भी रेखांकित करती है, जो स्वस्थ जीवनशैली और नशे से मुक्ति का प्रतीक है। रविंद्र तोमर की यह पहल न केवल हरियाणा, बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा है।
आम जनता से अपील
इस यात्रा के माध्यम से रविंद्र तोमर ने सभी से अपील की है कि वे नशे से दूर रहें और अपने जीवन को स्वस्थ और सकारात्मक दिशा में ले जाएँ। उनकी यह कांवड़ यात्रा नशा मुक्ति के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकती है, जो युवाओं को प्रेरित कर रही है कि वे नशे की बजाय दूध-दही जैसे पौष्टिक आहार को अपनाएँ और स्वस्थ जीवन जिएँ।
यह यात्रा न केवल एक धार्मिक और सामाजिक संदेश है, बल्कि यह हरियाणा के गौरवशाली सांस्कृतिक मूल्यों को भी सामने लाती है। रविंद्र तोमर की इस अनूठी कांवड़ यात्रा को हरियाणा और उत्तराखंड के लोगों का भरपूर समर्थन मिल रहा है, और यह उम्मीद की जाती है कि यह पहल नशा मुक्ति के लिए एक बड़े आंदोलन का रूप लेगी।