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उत्तराखंड: डीजीपी दीपम सेठ की उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक, विवेचना की गुणवत्ता सुधार पर जोर

देहरादून(आर सी/ संदीप कुमार) उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी)  दीपम सेठ की अध्यक्षता में आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गढ़वाल व कुमाऊं रेंज के साथ-साथ समस्त जनपदों के वरिष्ठ/पुलिस अधीक्षकों के साथ एक महत्वपूर्ण उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में गंभीर अपराधों की जांच में गुणवत्ता, पारदर्शिता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ाने पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया।

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गढ़वाल एवं कुमाऊ रेंज सहित समस्त जनपदों के वरिष्ठ/पुलिस अधीक्षकों के साथ संबोधन

डीजीपी  सेठ ने अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि गंभीर अपराधों की विवेचना में समयबद्धता, गुणवत्ता और पारदर्शिता सर्वोपरि है। उन्होंने जांच रिपोर्ट, चार्जशीट और फाइनल रिपोर्ट पर वरिष्ठ अधिकारियों के व्यक्तिगत पर्यवेक्षण को अनिवार्य बताया। डीजीपी ने जोर देकर कहा कि पुलिस मुख्यालय द्वारा तैयार की गई सरल और अपराध-आधारित मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) को नए आपराधिक कानूनों के अनुरूप अद्यतन करना आवश्यक है।

 

उन्होंने उच्च न्यायालय के निर्देशों का उल्लेख करते हुए बताया कि निष्पक्ष और प्रभावी जांच के लिए इन्वेस्टिगेशन प्लान, वैज्ञानिक साक्ष्य, वीडियोग्राफी और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य का समावेश अनिवार्य है। इसके अतिरिक्त, विवेचकों को अभियोजन अधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित कर प्रभावी न्यायिक प्रस्तुतिकरण सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए।

मुख्य निर्देश

नियमित मॉनिटरिंग और जवाबदेही: थानों की विवेचनाओं का प्रभावी पर्यवेक्षण, कमियों की पहचान और समयबद्ध सुधार के लिए क्षेत्राधिकारी (सीओ), अपर पुलिस अधीक्षक (एएसपी) और जनपद स्तर के अधिकारी जिम्मेदार होंगे। मुख्यालय के निर्देशों की अवहेलना पर विवेचक, थानाध्यक्ष, सीओ और एएसपी स्तर के अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाएगी।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण: जांच प्रक्रिया में वैज्ञानिक साक्ष्य, वीडियोग्राफी और इन्वेस्टिगेशन प्लान को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाएगा।

नियमित प्रशिक्षण: 3000 विवेचकों को चरणबद्ध रूप से नए आपराधिक कानूनों, वैज्ञानिक साक्ष्य, एनडीपीएस, महिला व बाल अपराध और साइंटिफिक इन्वेस्टिगेशन के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल तैयार कर प्रशिक्षित किया जाए। जनपद स्तर पर नियमित इन-हाउस प्रशिक्षण सत्र आयोजित होनी चाहिए।

अपराध समीक्षा : प्रत्येक जनपद में सीओ और एएसपी स्तर पर साप्ताहिक अपराध समीक्षा की कार्ययोजना बनाई जाए। सर्किलवार क्राइम मीटिंग और साप्ताहिक-मासिक अपराध समीक्षा का विवरण नियमित रूप से मुख्यालय को प्रेषित किया जाए।

वर्कलोड आंकलन : जांच अधिकारियों के कार्यभार का मूल्यांकन कर विवेचनात्मक क्षमता को बढ़ाया जायेगा।

न्यायालय के निर्देश : उच्च न्यायालय द्वारा किसी प्रकरण में दिए गए निर्देशों को जनपद क्राइम मीटिंग में साझा किया जाएगा।

डीजीपी ने कहा कि सीमित जनशक्ति, कानून व्यवस्था, आपदा राहत और बचाव कार्यों की व्यस्तता के बावजूद विवेचना की गुणवत्ता बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है। इसके लिए समय प्रबंधन और सतत पर्यवेक्षण आवश्यक है। उन्होंने पुलिसिंग को निष्पक्ष, पारदर्शी और जनहितैषी बनाने पर बल देते हुए कहा कि उत्तराखंड पुलिस को निरंतर सुधार और ठोस क्रियान्वयन के साथ एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करना है।

बैठक में समस्त जनपद प्रभारियों ने अपने सुझाव साझा किए, जबकि मुख्यालय स्तर पर उपस्थित उच्चाधिकारियों ने विवेचना की गुणवत्ता सुधार हेतु अपने अनुभव और रणनीतियां प्रस्तुत कीं।

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