सितारगंज (उत्तराखंड): सितारगंज जेल में कैदी सुभान के साथ बर्बरता और अमानवीय व्यवहार के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। मंगलवार को न्यायमूर्ति जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए जेल प्रशासन को कटघरे में खड़ा किया। कोर्ट ने डिप्टी जेलर नवीन चौहान और कांस्टेबल रामसिंह कपकोटी को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने के निर्देश दिए। साथ ही, जेल अधीक्षक को आदेश दिया गया कि वे उन सभी अधिकारियों के नाम उजागर करें, जो जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA) सचिव की मौजूदगी में कैदी से बातचीत के दौरान मौजूद थे।
मामला अधिवक्ता प्रभा नैथानी ने हाईकोर्ट में उठाया था, जिसमें कैदी सुभान के साथ शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया गया। कोर्ट के निर्देश पर DLSA सचिव ने जेल का निरीक्षण किया, जिसमें सुभान की आंखों में लालिमा, शरीर पर सूजन और जख्म के निशान पाए गए। चौंकाने वाली बात यह थी कि इन निशानों को मेकअप से छिपाने की कोशिश की गई थी। पूछताछ में सुभान ने खुलासा किया कि 28 जून को जेल कर्मियों ने उसे बेरहमी से पीटा, लेकिन डर के कारण वह आरोपियों के नाम नहीं बता सका। DLSA सचिव ने अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया कि पूछताछ के दौरान कांस्टेबल रामसिंह कपकोटी डंडा पटककर कैदी को डराने की कोशिश कर रहा था।
हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए अन्य शामिल अधिकारियों की जांच के आदेश दिए और कैदी सुभान को कोर्ट में पेश करने का निर्देश जारी किया। यह मामला जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली और कैदियों के मानवाधिकारों पर गंभीर सवाल खड़े करता है। कोर्ट का यह कदम कैदियों के साथ होने वाले अमानवीय व्यवहार को रोकने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।