रुड़की (आर सी/संदीप कुमार) पीपल्स सोशल एक्शन के बैनर तले पीपल्स यूथ फ्रंट के राष्ट्रीय अध्यक्ष इंजीनियर ललित कुमार के नेतृत्व में मजदूरों के अधिकारों और शोषण के खिलाफ राष्ट्रव्यापी जन आंदोलन तेजी से आगे बढ़ रहा है। रुड़की के ढंढेरा में आयोजित “मजदूर जन सभा” में 13 कंपनियों के सैकड़ों मजदूरों ने हिस्सा लिया और न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948 के तहत उचित वेतन व अन्य सुविधाओं की मांग को लेकर आंदोलन करने का ऐलान किया।
उन्होंने आगे बताया पिछले दो महीनों में इस आंदोलन के तहत 450 से अधिक मजदूरों का वेतन 5,000 रुपये मासिक से बढ़ाकर न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के अनुसार 12,500 रुपये किया गया, जिससे लगभग 4 करोड़ रुपये की वेतन वृद्धि हुई। इसके अलावा, पीपल्स यूथ फ्रंट ने कंपनियों द्वारा की गई पिछले 10-15 वर्षों की वेतन कटौती की रिकवरी के लिए 300 करोड़ रुपये का दावा पेश किया है। लिखित सहमति के तहत मजदूरों को EPF, ESI, डबल ओवरटाइम, अवकाश जैसी अन्य सुविधाएं भी सुनिश्चित की जाएंगी।
सभा की अध्यक्षता करते हुए इंजीनियर ललित कुमार ने मजदूरों को श्रमिक कानूनों और संवैधानिक प्रावधानों की जानकारी दी। उन्होंने कहा, “किसी भी मजदूर के वेतन की कटौती करने वाली कंपनियों को 10 गुना हर्जाना देना होगा, और भ्रष्टाचार में लिप्त उद्योगपतियों को जेल की सलाखों के पीछे जाना पड़ेगा।” उन्होंने यह भी बताया कि यह आंदोलन अब केवल निजी कंपनियों तक सीमित नहीं है, बल्कि सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों में कार्यरत भोजनमाता, आशा कर्मी, सफाई कर्मी और ठेका मजदूरों के लिए सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ी जाएगी, ताकि उन्हें नियमित रोजगार और पूर्ण अधिकार मिलें।
ललित कुमार ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि जल्द ही एक विशेष मुहिम शुरू की जाएगी, जिसमें मजदूरों, युवाओं, किसानों और आम जनता को बड़े स्तर पर जोड़ा जाएगा। इस मौके पर बहुजन समाज पार्टी के कार्यकर्ता कपिल छाबड़ा ने मजदूरों को एकजुट होकर अपने स्वाभिमान और हक की लड़ाई लड़ने के लिए प्रेरित किया। सामाजिक कार्यकर्ता अनुज कुमार, बामसेफ के वरिष्ठ कार्यकर्ता वैज्ञानिक दिगंबर सिंह, महावीर सिंह, पीपल्स पार्टी ऑफ इंडिया डेमोक्रेटिक के कार्यकर्ता भागीरथ सिंह और पीपल्स यूथ फ्रंट के राज्य महासचिव देवराज सिंह ने भी मजदूरों के अधिकारों की लड़ाई में समर्थन जताया। किसान यूनियन के राज्य उपाध्यक्ष अनिल कुमार ने मजदूरों को हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया।
सभा में उपस्थित सैकड़ों मजदूरों ने न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के तहत उचित वेतन और श्रमिक कानूनों के पूर्ण कार्यान्वयन की मांग रखी। यह आंदोलन मजदूरों के हक और सम्मान की लड़ाई में एक नया अध्याय जोड़ रहा है।