हरिद्वार(आर सी / संदीप कुमार) भैरव सेना संगठन ने हरिद्वार के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) पर निजी अस्पतालों के साथ मिलीभगत कर जनता को लूटने का आरोप लगाते हुए उनके पुतले का दहन किया। संगठन के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने इस दौरान महामहिम राज्यपाल को संबोधित एक ज्ञापन नगर मजिस्ट्रेट के माध्यम से सौंपा, जिसमें सीएमओ के तत्काल तबादले और निजी अस्पतालों में चल रहे ‘लूट तंत्र’ को खत्म करने की मांग की गई है।

भैरव सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहित चौहान ने कहा कि उत्तराखंड राज्य बनने के बाद भी स्वास्थ्य व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हुआ है। उन्होंने आरोप लगाया कि आज हर गली-मोहल्ले में बिना किसी नियमावली के अवैध रूप से निजी अस्पताल ‘कुकरमुत्तों’ की तरह चल रहे हैं। उनका कहना था कि सीएमओ केवल अपना ‘निजी राजस्व’ वसूलने में लगे हैं और इन अस्पतालों का नियमित निरीक्षण नहीं करते। उन्होंने निजी अस्पतालों को ‘स्लॉटर हाउस’ बताते हुए कहा कि ये अस्पताल इलाज कम और मुनाफा ज्यादा कमाते हैं।
चौहान ने आरोप लगाया कि इन अस्पतालों में अपनी खुद की केमिस्ट दुकानें हैं, जहां मनमानी कीमतों पर मरीजों को दवाइयां दी जाती हैं। उन्होंने कहा कि कई डॉक्टर मरीजों को ऐसी दवाएं लिखते हैं, जिनका उनके इलाज से कोई लेना-देना नहीं होता।
सरकारी अस्पतालों की बदहाली भी एक बड़ा कारण
भैरव सेना के राष्ट्रीय संरक्षक जेपी बडोनी ने कहा कि निजी अस्पतालों की बढ़ती संख्या का मुख्य कारण सरकारी अस्पतालों की बदहाल व्यवस्था है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकारी डॉक्टर मरीजों के प्रति उदासीन रवैया अपनाते हैं और ‘घड़ी देखकर’ इलाज करते हैं। बडोनी ने यह भी आरोप लगाया कि कई सरकारी डॉक्टर निजी क्लीनिकों में काम करते हैं और मरीजों को अच्छी सुविधा के नाम पर अपने निजी अस्पतालों में बुला लेते हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालों में बैठे डॉक्टर मरीजों से साफ कहते हैं कि ‘यहां कोई मशीनरी नहीं है’ और उन्हें निजी अस्पतालों में जाने की सलाह देते हैं।
संगठन ने रखी 10 सूत्रीय मांगें
ज्ञापन में भैरव सेना ने जनता के हित में निम्नलिखित 10 प्रमुख मांगें रखी हैं:
* निजी अस्पतालों में मरीजों के तीमारदारों के लिए बैठने की पर्याप्त और साफ-सुथरी व्यवस्था हो।
* सार्वजनिक शौचालय की अच्छी व्यवस्था हो।
* निजी अस्पतालों में संचालित केमिस्ट की दुकानों पर जेनेरिक दवाइयां उपलब्ध हों और डॉक्टर इन्हीं दवाओं को लिखें।
* निजी क्लीनिकों के डॉक्टर भी मरीजों के लिए जेनेरिक दवाएं ही लिखें।
* सरकारी डॉक्टर किसी भी निजी अस्पताल में काम न करें।
* निजी डॉक्टर मरीजों को अपनी निजी पैथोलॉजी से जांच कराने के लिए बाध्य न करें।
* आरटीई की तरह निजी अस्पतालों में भी 30% गरीब मरीजों का इलाज मुफ्त में हो।
* आयुष्मान कार्ड और गोल्डन कार्ड पर मरीजों को जबरदस्ती भर्ती कर लूटा न जाए।
* योग्य डॉक्टर ही आपातकालीन स्थिति में मरीजों की जांच करें।
* निजी अस्पतालों में पार्किंग की उचित व्यवस्था हो, अन्यथा उन्हें सील कर दिया जाए।
संगठन ने राज्यपाल से यह भी अनुरोध किया कि वे राज्य के सभी जिलाधिकारियों और मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश दें कि वे प्रत्येक माह अस्पतालों का निरीक्षण करें और यह सुनिश्चित करें कि मरीजों को गुणवत्तापूर्ण और सुरक्षित इलाज मिल रहा है।
इस विरोध प्रदर्शन के दौरान भैरव सेना के संरक्षक जेपी बडोनी, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष उदित भारद्वाज, प्रदेश अध्यक्ष आकाश मिश्रा, जिला अध्यक्ष ललित कुमार और अन्य कई कार्यकर्ता मौजूद थे।
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