हरिद्वार (आर सी/संदीप कुमार) पतंजलि सहदेवपुर मार्ग पर तेजी से विकसित हो रही कॉलोनियों से निकलने वाला कचरा अब एक गंभीर समस्या बन गया है। कचरा निस्तारण का कोई स्थायी समाधान न होने के कारण, बिल्डर और कॉलोनाइजर मनमाने ढंग से प्लास्टिक कचरा खुले में खेतों की तरफ़ फेंक रहे हैं या जेसीबी से गड्ढे खोदकर दबा रहे हैं। स्थानीय किसानों और निवासियों ने इस पर गहरी चिंता जताई है और प्रशासन पर आंखें मूंदने का आरोप लगाया है।

समस्या की जड़: बढ़ती आबादी और लापरवाही
पतंजलि शांतशाह के आसपास बढ़ती आबादी के साथ ही कचरे की मात्रा भी कई गुना बढ़ गई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जहां एक तरफ नई कॉलोनियां बन रही हैं, वहीं दूसरी तरफ कचरा प्रबंधन के लिए कोई ठोस योजना नहीं है। इसका नतीजा यह है कि हर दिन ट्रकों और गाड़ियों में भरकर प्लास्टिक कचरा खेतों की ओर फेंका जा रहा है। कई कॉलोनाइजर तो इस कचरे को छिपाने के लिए बड़े-बड़े गड्ढे खोदकर उसमें दबा रहे हैं।
किसानों के लिए खतरा
किसानों का कहना है कि यह प्लास्टिक कचरा उनकी फसलों के लिए बड़ा खतरा बन रहा है। बरसात के दिनों में यह कचरा पानी के साथ बहकर उनके खेतों तक पहुंच जाता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता (fertility) प्रभावित हो रही है। उनका आरोप है कि यह समस्या भविष्य में और भी विकराल रूप ले सकती है अगर जल्द ही कोई समाधान नहीं निकाला गया।
प्रशासन पर उदासीनता का आरोप
स्थानीय लोगों और किसानों ने प्रशासन की उदासीनता पर नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि प्रशासन को इस बढ़ती हुई समस्या की जानकारी है, लेकिन इसके बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। उन्होंने मांग की है कि प्रशासन इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करे और कॉलोनाइजरों के लिए कचरा निस्तारण की उचित व्यवस्था सुनिश्चित करे, ताकि पर्यावरण और खेती को बचाया जा सके।
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