हरिद्वार (आर सी/ संदीप कुमार) ज्वालापुर कोतवाली में पूर्व में तैनात रहे दो उपनिरीक्षकों पर झूठे केस में फसाने का आरोप लगने के बाद यह मामला अब तूल पकड़ गया है। अल्पसंख्यक आयोग में इस संबंध में शिकायत की गई थी। जिसके बाद आयोग ने जिलाधिकारी हरिद्वार को मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित करने के निर्देश दिए हैं। इस कमेटी को 15 दिन के भीतर जांच पूरी कर आयोग के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया गया है। यह मामला ज्वालापुर कस्साबान निवासी सामाजिक कार्यकर्ता अब्दुल सत्तार की शिकायत से जुड़ा है। जिन्होंने आयोग को बताया था कि दो पूर्व उपनिरीक्षकों ने गौवंश संरक्षण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर दो युवाओं का भविष्य बर्बाद करने की नीयत से फर्जी कार्रवाई की थी।
शिकायत में आरोप लगाया गया है कि पुलिसकर्मियों ने घटनास्थल से 10 किलोमीटर दूर के निवासियों को गवाह बनाकर बिना हस्ताक्षर वाले शपथपत्र आयोग में प्रस्तुत किए। हालांकि, बाद में विवेचक ने एफआर (फाइनल रिपोर्ट) लगाकर मुकदमे को झूठा करार दिया था। पहले इस मामले की जांच सीओ ज्वालापुर को सौंपी गई थी, लेकिन शिकायतकर्ता जांच से संतुष्ट नहीं थे। इसके बाद आयोग ने पुनः जांच का आदेश दिया और इसकी जिम्मेदारी सीओ सदर को दी गई। समय पर जांच पूरी न होने पर आयोग ने नाराजगी व्यक्त की थी।

अब, आयोग की उपाध्यक्ष फरजाना बेगम की ओर से जिलाधिकारी हरिद्वार को पत्र भेजकर निष्पक्ष जांच के निर्देश दिए गए हैं। निर्देशित किया गया है कि अपर जिलाधिकारी प्रशासन की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की जाए, जिसमें क्षेत्राधिकारी पुलिस और अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी को भी शामिल किया जाए। इस कमेटी को 15 दिन के अंदर अपनी जांच रिपोर्ट आयोग को सौंपनी होगी।